About Me

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I am a student of pgdm/mba in EMPI business school,New Delhi. Though i am not a professional writer but i love putting my inner heart's feeling into words and people say its a poems and me a poet; Yes i worked with All India Radio in my my teenage because of these poems which i wrote but still i don't feel like a poet or what ever.I feel these are just your feelings whom you give shape by writing in words. I never go behind any thing which i don't like, i am just king of my own kingdom. Love enjoying and spending time in traveling to new places and with nature. And more you can easily decide by analyzing my creations on the blog...

Friday, May 4, 2012


जाने कैसे वो दिन गुज़र गए ....!!!!
वो दिन गुज़र गए ..वो दिन गुज़र गए ,
जाने कैसे वो दिन गुज़र् गए,
सालो का साथ बस पल में छूट जाएगा,
न चाह कर भी आंसू तो निकल ही जाएगा,
यह देख कर आसमा भी झुक जाएगा ,
जिस ने भी बनाया ये कानून ,
उसे भी एक दिन खुद पे शर्म आ जाएगा ,
वो मौज का आलम वो मस्ती का मौसम ,
वो हसना वो रोना , वो नाचना वो गाना ,
लड़ने झगड़ने के बाद फिर से मिल जाना ,
सब ख़तम हो जाएगा , बसा बसाया आसियान उजाड़ जाएगा ,
जान जिश्म से अलग हो कर जाने कैसे रह पाएगा ,
राही ही नहीं राहें भी बदल जाएंगी ,
पहले रहते थे साथ अब किसी के साथ को भी तरश जाएंगे ,
और भीड़ में भी अकेला खुद को पाएंगे ,
जिंदगी बदल जाएगी सायद हम भी बदल जाएंगे ,
मगर इन लम्हों को हम कभी न भूल पाएंगे ,
जब आएगी इन लम्हों की याद ,
हम तो बस तस्वीर ही पाएंगे ,
और यही है जो हमारा साथ निभाएँगे ,
ये लम्हे हमें बहुत तद्पाएंगे ,
दुबारा इन लम्हों को पाने की ख्वाहिस को ये और बढाएंगे ,
काश अगर हम समय को रोक पाते तो दुबारा इन लम्हों में लौट जाते,
इन लम्हों को पाने के लिए हर कोई पैसा तो क्या सब कुछ लुटा सकता है ,
और तो और जरुरत पड़ने पे मौत को भी गले लगा सकता है।.!!!!

With love, & dedicated to every single person of EMPI.
Love you all will miss u badly
 : Abhinav Anurag.

Wednesday, March 28, 2012

दिल की सुनु या दिमाग की ?


कभी कभी इस जन्दगी में ऐसे मुकाम आते हैं,
जहाँ हम चाह  कर भी कोई कदम नहीं उठापाते हैं, 
हर वक़्त एक टीस इस दिल  से उठती रहती है,
हर वक़त हम बस दर्द का घुट पिए जाते हैं,
सुनु मै दिल की या दिमाग की ये फैसला नहीं कर पाते हैं ,
द्वन्द भरी इस जिंदगी में यू ही हजार मुश्किले है "अभी",
फिर भी हर वक़्त नई नई मुश्किले पैदा कर के,
हम बस उनसे भागते जाते हैं भागते हैं,
जिंदगी जो बीत गई है वो भी लौट के आती  है मेरे यार,
वो देगी ख़ुशी या देगी ग़म,
उसके हम खुद ही होते है जिम्मेदार,
कई गलतियां कभी सुधर नहीं पाती हैं,
जैसे हम चाह के भी अपनी परछाइयों से भाग नहीं पाते हैं,
बस एक ही रास्ता होता है इन्तेजार सही वक़्त का,
जब खुद-ब-खुद हर हर अक्श अंधेरो में मिल्जाते हैं,
और नई रौशनी के इन्तेजार में,
नई जिंदगी का सपना हम  अपनी आँखों में सजाते हैं


Life is ever changing, if its not good at this time just wait and watch, Coz Every day ends at night and every night ends with the start of new day which is always filled of hope and confidence.
Wising You All The Very Best for What Ever You Do.

सप्रेम भेट
अभिनव अनुराग   




Monday, January 23, 2012

ज़िन्दगी इस तरह से लगने लगी रंग उड़ जाए जो  दीवारों से , अब छुपाने को अपना कुछ्ना रहा जख्म दिखने लगे दरारों से, भूल करना तो मेरी फितरत में है , क्यों की इंसा हु मै नहीं हु खुदा , मुझ को है अपनी हर खता मंजूर,  भूल हो जाती है इंसानों से, कुछ हमारे भी साथ ऐसा हुआ, हम यही कह रहे इशारो से.....ज़िन्दगी इस तरह से लगने लगी रंग उड़ जाए जो  दीवारों से , अब छुपाने को अपना कुछ्ना रहा जख्म दिखने लगे दरारों से...!!!!