About Me

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I am a student of pgdm/mba in EMPI business school,New Delhi. Though i am not a professional writer but i love putting my inner heart's feeling into words and people say its a poems and me a poet; Yes i worked with All India Radio in my my teenage because of these poems which i wrote but still i don't feel like a poet or what ever.I feel these are just your feelings whom you give shape by writing in words. I never go behind any thing which i don't like, i am just king of my own kingdom. Love enjoying and spending time in traveling to new places and with nature. And more you can easily decide by analyzing my creations on the blog...

Wednesday, March 19, 2014

ग़वारा नहीं था
भुला दूंगा तुम्हे इस कदर अपने दिल से, जैसे तेरा कोई नामो निशाँ ना था
बेवफा कह लेना चाहे मुझे तुम ,
मगर तेरा औरो से दिल लगाना मुझे गवारा नहीं था ,
खुद कि खुशियां भूल कर, भर देना चाहा मैंने दामन तेरा
मगर कर दिआ तूने लहू लुहान उस हाँथ को,
जो उठा थो तो बस हर वक्त तेरी ही दुआओ के लिए
जब खुश ही है तू अपनी जिंदगी में
फिर क्यों मै  तेरा इन्तेजार करुँ
हर वक्त हाथ में लेके खंजर
मुझे खुद के सीने पे चलना ग़वारा नहीं था
सुबह कि पहली किरण से लेकर  चांदनी रात तक
हर वक्त इन्तेजार करता रहा मै तेरा
मगर तू पता बता दे अपना, इतना भी मै तुम्हारा नहीं था
दो पल  भी न मिले खुशिओ के इस इश्क में गर "अभि "
तो तेरा हर पल उनके लिए इश्क में अश्के बहाना, गवारा नहीं था ग़वारा था

With Lots of Love & Regards From:
Abhinav Anurag "अभि "

होठो पे है धड़कन में है, वो मेरे में है बस गया

सीने पे लिख के नाम उनका हम तो आगे बढ़ चले
जाने होगा क्या बिन सोचे हमने लिख लिआ
हर उम्मीद टूटी है मेरी, फिर भी हम ना रुक सके
आँखों में बस उनका ही चेहरा लेके आगे बढ़ चले
होठो पे है धड़कन में है, वो मेरे में है बस गया
आंसू भी मेरे अब गिरते नहीं, जाने क्यों मै पत्थर बन गया
चोट लगी जब दिल पे तो, होठो पे नाम उनका ही था
आसां नहीं है ये डगर, जिस पे मै  हु चल पड़ा
मिलेगी वो या ना मुझे, इसका भी फ़िक्र अब ना रहा
होठो पे है धड़कन में है, वो मेरे में है बस गया 
 दूर हु मै  उससे आज भी , जाने होगा कल क्या पता
आसां नहीं है ये डगर, जिस पे मै  हु चल पड़ा
मुझे प्यार दे मुझे दर्द दे , चाहे दे दे वो  दगा
मुझे प्यार है मुझे इश्क है,  वो मेरे में है बस गया
आंसू लेके सारे उसके,  खुशीआं मै  अपनी उस पे वार दू
कि आए वो कब्र पर मेरी और नाम मेरा अपने होठो से ले
जी जाऊँगा एक बार फिर, रूह को सुकून मिल जाएगा
न रह के भी इस दुनिया में, ये इश्क मै  दे जाऊँगा
कि होठो पे था उनके नाम मेरा, ये सुनके चैन से सो जाऊँगा  
आसां नहीं है ये डगर, जिस पे मै  हु चल पड़ा
होठो पे है धड़कन में है, वो मेरे में है बस गया

With Lots of Love & Regards from:
Abhinav Anurag "अभि "



Tuesday, March 18, 2014

भरोसा 
कल तक हम भी बड़े गर्व सीना तान के चला करते थे
जब हुआ इल्म इस झूटी सोहरत का
तो अब लोगो से नजरे मिलाने में भी डरते है
लुटा के सारी खुशीआं अपने दामन कि
हमने उन को आबाद किआ
ग़म नहीं यारो गर दिल उसने तोड़ दिआ
अब हाले दिल क्या छुपाऊ तुम से
हर चेहरे में आज  भी उन्ही को ढूंढा करते है
हर वक्त आज भी उन्ही कि ख़ुशी कि दुआ करते है
मिल गया था एक दिन वो हमें यु है राह चलते
जब मैंने खैरियत पूछनी चाही
मोड़ के चेहरा वो अलग चल दिए
कुछ भी न छुपा था मेरा उनसे
मगर "अभि " कैसा  बेवक़ूफ़ निकला तू
उनकी जिंदगी में तेरी कोई अहमियत न थी
ये भी नहीं जान सका तू
इस लव्ज़ पे गुमान करने वालो सुनो
राहे है कांटो कि जरा संभल के चलना
गर ठोकर लग जाए कभी
यो ये न कहना कि "अभि " ने तुम्हे बताया  नहीं था
कि कभी किसी पे खुद से ज्यादा भरोसा ना  करना
कभी किसी  पे भरोसा ना करना

With lots of Love & Regards From
Abhinav Anurag "अभि "
हम तो तिनके चुन रहे थे आसियान बनाने के लिए
आप से किसने कहा बिजली गिराने के लिए
इश्क को दर्द ए  सर कहने वालो सुनो
हमने दर्द अपने सर ले लिया
अब कहाँ जाएंगे वो
हमने उनके मुहल्ले में घर ले लिया
जब आए वो कबर पे मेरी
तो कहा अच्छा हुआ चलो किसी बेघर ने घर ले लिआ
इधर जिंदगी का जनाजा उठेगा
उधर जिंदगी उनकी दुल्हन बनेगी
इधर मेरे अरमां कफ़न पहनेंगे
उधर उनके हांथो में मेहँदी लगेगी
इधर मेरे सीने पे खंजर चलेगा
उधर उनके माथे पे बिंदीआ सजेगी
कफ़न होगा यारो उन्ही का दुप्पटा
बड़ी धूम से मेरी मईयत उठेगी,
बड़ी धूम से मेरी मईयत उठेगी।
With Love & Regards From:
Abhinav Anurag.
Courtesy: Attaula Khan.

यकीन 

कर यकीन अपनी अपने मुक्कदर पे इतना
कि हर ख़ुशी तेरे कदमो में आएगी
क्यों रोता है "अभि " तू प्यार के लिए
क्यों दिल जलाता है अपना
जो खुद है अधूरा वो बस एक हसी सपना है
आँखों से तेरे गिरते आंसू का उसे कोई एहसास  नहीं
फिर भी उस पत्थर पे तेरा विस्वास कम नहीं
हर बार ठोखर खा कर भी  क्यों तू मुस्कुराता है "अभि "
क्यों यकीन नहीं तुझे अपने मुक्क़दर पे
कि हर ख़ुशी तेरे कदमो में आएगी
छोड़ दे जाने दे मत रोक उसे आज
गर होगी वो तेरे हाँथो कि लकीरो में
लौट आएगी एक दिन वापस तेरी इन बांहो में
जनता है तू सब कुछ फिर भी समझता नहीं
क्यों "अभि " तू अपने मुक्कदर पे यकीन करता नहीं
क्यों तू अपने मुक्कदर पे यकीन करता नहीं।

सप्रेम भेट
अभिनव अनुराग "अभि "

Monday, March 17, 2014

अकेलापन 
अजीब सा एहसास है 
हर वक्त एक सवाल है 
न दिल को सुकून न दिमाग को चैन 
न जाने कौन सी बेचैनी है 
यु तो जब रहते है साथ,,,
तो होता नहीं कद्र उस वक्त का 
फिर जाने क्यों वो तड़प मच जाती है 
हर एक पल क्यों,  इतनी भरी हो जाती है 
डर भी लगा रहता है बिछड़ जाने का 
बात ये नहीं कि  यकीन नहीं है  हमे उनपे 
भरोसा तो हम उनपे जान से ज्यादा करते है 
मगर दिल को समझाए कैसे 
जो प्यार है उस प्यार को छलकने से रोके पाए कैसे 
चाहता हु हर  वक्त उनका साथ 
मगर बोलने से भी डरता हु 
कही यो ये न समझा बैठे कि मै उनपे भरोसा नहीं करता हु 
काश कोई जाकर उन्हें ये बता दे 
कि अकेले रह कर मै भी उनके यादो में रोता हु 
साथ ही साथ उनसे जरा ये भी कहना  
लौट आए वो वापस "अभि "कि  जिंदगी में 
क्यों कि बड़ी शिद्दत से मैं हरपल उनका इन्तेजार करता हु… 

With Lots of Love & Regards from:
Abhinav Anurag, " अभि "