यकीन
कर यकीन अपनी अपने मुक्कदर पे इतनाकि हर ख़ुशी तेरे कदमो में आएगी
क्यों रोता है "अभि " तू प्यार के लिए
क्यों दिल जलाता है अपना
जो खुद है अधूरा वो बस एक हसी सपना है
आँखों से तेरे गिरते आंसू का उसे कोई एहसास नहीं
फिर भी उस पत्थर पे तेरा विस्वास कम नहीं
हर बार ठोखर खा कर भी क्यों तू मुस्कुराता है "अभि "
क्यों यकीन नहीं तुझे अपने मुक्क़दर पे
कि हर ख़ुशी तेरे कदमो में आएगी
छोड़ दे जाने दे मत रोक उसे आज
गर होगी वो तेरे हाँथो कि लकीरो में
लौट आएगी एक दिन वापस तेरी इन बांहो में
जनता है तू सब कुछ फिर भी समझता नहीं
क्यों "अभि " तू अपने मुक्कदर पे यकीन करता नहीं
क्यों तू अपने मुक्कदर पे यकीन करता नहीं।
सप्रेम भेट
अभिनव अनुराग "अभि "
No comments:
Post a Comment